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विभागीय परिचय |
जनजाति विकास के लिये भारतीय संविधान में विशेष प्रावधान है, भारतीय संविधान की अनुसूची 5 में अनुसूचित जनजातियों एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण हेतु राज्य की कार्यपालिका की शक्तियों का विस्तार किया गया है, इन्ही शक्तियों के आधार पर राजस्थान में जनजाति समुदाय के समग्र विकास हेतु राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1975 में जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की स्थापना की गयी। जिससे एक समन्वित और सुनियोजित तरीके से अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिये कार्यक्रमों के विकास के लिये कार्यक्रमों की समग्र नीति, योजना और समन्वय किया जा सकें। |
संगठनात्मक ढांचा |
विभाग के उद्धेश्य |
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अनुसूचित क्षेत्र |
संविधान की पांचवी अनुसूची के भाग-ग के अनुसार ‘‘अनुसूचित क्षेत्र’’ पद से ऐसे क्षेत्र अभिप्रेत है, जिन्हें राष्ट्रपति आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित करें। |
भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 12.02.1981 से विनिर्दिष्ट क्षेत्रों को राजस्थान राज्य के भीतर अनुसूचित क्षेत्र के रूप में घोषित किया है। |
अनुसूचित जनजाति |
’’अनुसूचित जनजातियाँ’’ शब्द की परिभाषा संविधान के अनुच्छेद 366 (25) में इस प्रकार की गई है, ’’ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों के अंतर्गत भागों या समूहों, जिन्हे संविधान के प्रयोजन के लिये अनु. 342 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियाँ होना समझा जाता है।’’ |
राजस्थान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (संशोधन) अधिनियम 1976 के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की सूची :- | |
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क्र.सं. | अनुसूचित जनजातियाँ |
1. | भील, भील गरासिया, ढोली भील, डूंगरी भील, डूंगरी गरासिया, मेवासी भील, रावल भील, तड़वी भील, भगालिया, भिलाला, पावरा, वसावा, वसावें |
2. | भील मीना |
3. | डामोर, डामरिया |
4. | धानका, तडबी, वालवी, तेतारिया |
5. | गरासिया (राजपूत गरासिया को छोडकर) |
6. | काथोडी, कातकरी, ढोर काथोडी, ढोर कातकरी, सोन काथोडी, सोन कातकरी |
7. | कोकना, कोकनी, कूकना |
8. | कोली ढोर, टोकरे कोली, कोलचा, कोलघा |
9. | मीना |
10. | नायकडा, नायका, चोलीवाला नायका, कापडिया नायका, मोटा नायका, नाना नायका |
11. | पटेलिया |
12. | सेहरिआ, सेहारिआ, सहारिया |