तूणीर (करियर मार्गदर्शिका)
आई.टी.आई.
10 वीं/माध्यमिक के पश्चात् कॅरियर के प्रमुख क्षेत्र:
सामान्यत: छात्र 10 वीं के बाद विज्ञान/वाणिज्य/कला एवं अन्य विषय का चुनाव कर उच्च शिक्षा हेतु अध्यापन करते हैं, परन्तु इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे क्षेत्र है जिसके द्वारा छात्र अपने कौशल का विकास कर रोजगार प्राप्त कर सकते है। कुछ विशेष क्षेत्रों की जानकारी निम्नलिखित है।
आई.टी.आई.
सन् 1950 में भारत सरकार द्वारा आई.टी.आई. संस्थान की शुरुआत की गयी। इसका उद्देश्य रोजगार प्रशिक्षण देकर शिक्षित तथा कम पढ़े-लिखे युवकों को रोजगार देना आई.टी.आई. में पूर्णकालिक तथा अल्पकालिक कई पाठ्यक्रम हैं, जो एक, दो तथा तीन वर्षीय होने के साथ-साथ 04 से 16 सप्ताह के भी हैं।
एक वर्षीय पाठ्यक्रम: कटिंग व टेलरिंग, एम्ब्राइडरी, स्टेनोग्राफी (हिन्दी व अंग्रेजी) टैक्सटाइल डिजाइनिंग, डेªस डिजाइनिंग, कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं प्रोग्रामिंग, जनरल मैकेनिक एवं मशीन ऑपरेटर, कुकिंग केटरिंग एवं होम मैनेजमेन्ट आदि शामिल हैं।
दो वर्षीय पाठ्यक्रम: इलेक्ट्रोनिक्स, रेफ्रीजरेशन व ए.सी. इलेक्ट्रीशियन, ड्राफ्ट्समैन, इलेक्ट्रिक मैकेनिक, फिटर, टर्नर, मशीनिस्ट, वायरमैन आदि शामिल हैं।
तीन वर्षीय पाठ्यक्रम: टूल एवं डाईमेकर (डाइज एवं मोल्ड्रास) टूल एण्ड मेकर (प्रेस टूल्स जिंक्स एवं फिक्सर) आदि
आयु सीमा: सामान्यतः 16-25 वर्ष
शैक्षिक योग्यता: व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु एक, दो तथा तीन वर्षीय इंजीनियरिंग कोर्स के लिए सामान्यतः अभ्यर्थी को विज्ञान विषयों (भौतिक और रसायन) एवं गणित सहित 10+2 प्रणाली के अन्तर्गत 10वीं व 12वीं उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। बहुत से नाॅन इंजीनियरिंग कोर्स ऐसे भी हैं जिनमें प्रवेश के लिए 8,10 या 12वीं पास होना आवश्यक है।
आरक्षण: सरकारी नियमानुसार आरक्षण देय।
12 वीं/उच्च माध्यमिक के पश्चात् कॅरियर के प्रमुख क्षेत्र
सामान्यत: छात्र 12 वीं के बाद विज्ञान/वाणिज्य/कला एवं अन्य विषय का चुनाव कर स्नातक शिक्षा हेतु अध्यापन करते है, परन्तु इसके अतिरिक्त भी कई ऐसे क्षेत्र है जिसके द्वारा छात्र अपने कौशल का विकास कर रोजगार प्राप्त कर सकते है। कुछ विशेष क्षेत्रो की जानकारी निम्नलिखित है।
विभिन्न आई.टी.आई (ट्रेड प्रशिक्षण) प्रमुख क्षेत्र
क्रसं. |
ट्रेड का नाम |
अवधि (वर्ष) |
पात्रता |
आयु सीमा |
प्रशिक्षण संस्थान |
1 |
फिटर |
2 वर्ष |
10वीं उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व निजी आई टी. आई. केन्द्र |
2 |
टर्नर |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
3 |
मशीनिस्ट |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
4 |
मोटर मैकेनिक |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
5 |
मैकेनिकल |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
6 |
इलेक्ट्रिक |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
7 |
ड्राफ्ट्समैन सिविल |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
8 |
सर्वेयर |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
9 |
इलेक्ट्रोनिक्स |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
10 |
मशीनिस्ट ग्राइण्डर |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
11 |
इलेक्ट्रीशियन |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
12 |
डीज़ल मैकेनिक |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
13 |
पेन्टर |
2 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
14 |
वेल्डर |
1 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
15 |
प्लम्बर |
1 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
16 |
कारपेन्टर |
1 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
17 |
फायरमेन |
1 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
निजी आई टी. आई. केन्द्र |
18 |
कम्प्यूटर ऑपरेटर एण्ड प्रोग्रामिंग असिस्टेन्ट |
1 वर्ष |
उत्तीर्ण |
16 वर्ष से 25 वर्ष तक |
मान्यता प्राप्त राजकीय व |
रोजगार के अवसर-उक्त विभिन्न आई.टी.आई. डिप्लोमा प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थी देश के राजकीय विभागों रेलवे, विद्युत, जलदाय, रक्षा तथा विभिन्न निजी कम्पनियों आदि में अपना कॅरियर बना सकते हैं साथ ही स्वयं का व्यवसाय भी शुरू कर सकते है। |
इंजीनियरिंग
A. इंजीनियरिंग में डिग्री:
इंजीनियरिंग में प्रवेश हेतु विद्यार्थी का सीनियर सैकण्डरी कक्षा (10+2) में विज्ञान विषय गणित के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। प्रवेश हेतु केन्द्र सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष के मार्च-अप्रेल माह में प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती हैं।
परीक्षा में मेरिट के आधार पर विषयों व काॅलेजों का आवंटन किया जाता है।
C.B.S.E./N.T.A. (नेशनल टेस्ट एजेन्सी) द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा:-
1.JEE (JOINT ENTERANCE EXAM) – MAIN
प्रश्न पत्र |
कोर्स |
विषय |
अवधि |
I |
बी.ई./बी.टेक. |
भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान व गणित |
3 घंटे |
II |
बी.आर्क/ बी.प्लानिंग |
भाग 1- गणित, भाग 2 - अभिरुचि परीक्षा भाग 3 - ड्राइंग परीक्षा
|
3 घंटे |
प्रवेश के लिये योग्यता:
प्रवेश के लिये योग्यता: जो अभ्यर्थी 10+ 2 में (12 वीं कक्षा) की अंतिम परीक्षा या ऐसी समकक्ष परीक्षा में बैठ रहे हों, वे अस्थायी तौर पर प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हे, बशर्ते कि वे परामर्श (काउंसलिंग) के लिये उपस्थित होने के समय विनिर्दिष्ट पात्रता शर्तों को पूरा करते हों। इस परीक्षा हेतु लगातार वर्षों में एक समान रूप से 03 (तीन) अवसर मिलते हैं।
Website : www.jeemain.nic.in
Website : www.cbse.nic.in
प्रवेश परीक्षा में चयन के पश्चात् छात्र/छात्राएँ अपनी रुचि व मेरिट के अनुसार इंजीनियरिंग की निम्न शाखाओं में से किसी एक में प्रवेश ले सकते हैं:-
1. एयरोनोटिकल इंजीनियरिंग
2. एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
3. बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
4. सेरेमिक इंजीनियरिंग
5. सिविल इंजीनियरिंग
6. केमिकल इंजीनियरिंग
7. कम्प्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
8. इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग
9. पर्यावरणीय इंजीनियरिंग
10. इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग
11. इन्सट्रूमेन्टेशन इंजीनियरिंग
12. मरीन इंजीनियरिंग
13. मेटलर्जीकल इंजीनियरिंग
14. मैकेनिकल इंजीनियरिंग
15. माईनिंग इंजीनियरिंग
16. प्रोडक्शन इंजीनियरिंग
17. ट्रांस्पोर्टेशन इंजीनियरिंग
18. ऑटोमेशन एण्ड रोबोटिक्स
19. फूड टेक्नोलोजी
20. इन्फोरमेशन टेक्नोलोजी
21. लेदर टेक्नोलोजी
22. बायोटेक्नोलोजी
23. प्रिंटिग टेक्नोलोजी
24. शुगर टेक्नोलोजी
25. पल्प एण्ड पेपर टेक्नोलोजी
26. ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
27. मेटेरियल साइंस एण्ड टेक्नोलोजी
28. पाॅलीमर साइंस एण्ड रबर टेक्नोलोजी
29. टैक्सटाइल इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलोजी
30. एप्लाईड इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड इंस्ट्रूमेन्टेशन
31. इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग
2. IIT (Indian Institute of Technology) प्रवेश परीक्षा (JEE)
भारतीय तकनीकी संस्थानों (IIT) में प्रवेश जोईन्ट एन्ट्रेन्स एक्जाॅम (JEE) के द्वारा दिया जाता है। कक्षा 12 वीं में 60 प्रतिशत अंकों से (ST/SC हेतु 55 प्रतिशत) उत्तीर्ण विद्यार्थी इसमें बैठने हेतु पात्र हैं। इस परीक्षा में बैठने हेतु सीमित अवसर ही उपलब्ध होते हैंै। आवेदन पत्र अधिकृत बैंक की विभिन्न शाखाओं से प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रवेश परीक्षा माह अपे्रल में आयोजित की जाती है।
सम्पर्क सूत्र:
The Chairman,
Joint entrance examination (JEE)
Indian Institute of Technology Bombay
Mumbai – 400076
Website: www.iijee.iitb.ac.in
राजस्थान प्री-इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (Rajasthan Pre Engineering Test) (RPET)
शैक्षिक योग्यता:
10+2 (विज्ञान) में 45 प्रतिशत सामान्य वर्ग तथा 40 प्रतिशत आरक्षित वर्ग माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान से अथवा अन्य कोई समकक्ष योग्यता जो की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान द्वारा मान्यता प्राप्त हो, उत्तीर्ण की हो।
अनिवार्य विषय: भौतिकी, गणित तथा निम्न मे सें कोई एक विषय
1. रसायन विज्ञान 2. जैव तकनीक 3. कम्प्यूटर विज्ञान 4. जीव विज्ञान
परीक्षा प्रणाली: 120 प्रश्न (40 रसायन विज्ञान, 40 भौतिक विज्ञान तथा 40 गणित) प्रवेश हेतु आवेदन मार्च/अप्रेल में उपलब्ध होते हैं एवं प्रवेश परीक्षा मई/जून में आयोजित की जाती है।
IIT के प्रमुख संस्थान:
IIT खड़गपुर - www.iitkgp:ernet.in/jee
IIT कानपुर - www. iitk.ac.inrw.khj
IIT गुवाहाटी - www.iitg.ernet.in/jee
IIT रूड़की - www.rurkiv.ernet.in/jee
IIT दिल्ली - www.iitd.ernet.in/jee
IIT मुम्बई - www.iitb.ac.in/jee
साथ ही पटना, वाराणसी, इंदौर, जोधपुर, भुवनेश्वर, गांधीनगर, हैदराबाद, मद्रास, रोपड़, मण्डी आदि के IIT संस्थान ।
रोजगार के अवसर: विद्यार्थियों ने जिस ब्रांच में यह कोर्स किया है, वे विदेशों में या भारत में सरकारी विभागों/उपक्रमों/कारखानों/औद्योगिक क्षेत्रों/निजी कम्पनियों में अभियन्ता के पद पर नियुक्ति पा सकते हैं अथवा स्वयं का उद्योग स्थापित कर सकते हैं।
इंजीनियरिंग में डिप्लोमा:
यह कोर्स 3 वर्ष का होता है। इसके लिए छात्र/छात्राओं को सैकण्डरी/सीनियर सैकण्डरी कक्षा विज्ञान मय गणित विषय से उत्तीर्ण होना चाहिए। इसका चयन मेरिट के आधार पर किया जाता है। इसमें भी कई विषय होते हैं। विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार विषय का चुनाव कर सकते हैं।
संस्थान:
राजस्थान के राजकीय और निजी पाॅलीटेक्निक संस्थानों से उक्त डिप्लोमा किया जा सकता है।
राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड) विश्वविद्यालय उदयपुर तथा विद्याभवन रूरल इंस्टीट्यूट उदयपुर द्वारा भी डिप्लोमा कोर्स संचालित होता है।
रोजगार के अवसर:
इस कोर्स को करने के पश्चात् छात्र/छात्राओं को भारत सरकार/राज्य सरकार/निजी कम्पनियाँ/औद्योगिक क्षेत्र में कनिष्ठ अभियन्ता के पद पर नियुक्ति के अवसर प्राप्त होते हैं।
चिकित्सा क्षेत्र में कॅरियर
किसी भी विद्यार्थी को अपने जीवन को सफल, सुखी एवं सम्पन्न बनाने के लिए एक ऐसा व्यवसाय चुनना होता है, जिससे उसे मानसिक संतुष्टि भी मिल सके और अपने तथा परिवार का भरण पोषण भी सम्मानजनक तरीके से कर सके। वे विद्यार्थी जिन्होंने अपनी रुचि को ध्यान में रखते हुए 10+2 में विज्ञान के साथ जीव विज्ञान विषय का चयन किया है उनके लिए कॅरियर के अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें वह अपने उज्ज्वल भविष्य की तलाश कर सकता है। चिकित्सा क्षेत्र में कॅरियर बनाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली आयोजित प्रवेश परीक्षा NEET(नेशनल एलिजीबिलीटी कम एन्ट्रेन्स टेस्ट) उत्र्तीण करना आवश्यक हैं।
एलोपैथिक चिकित्सा
पाठ्यक्रम: M.B.B.S (बेचलर ऑफ मेडिसिन एण्ड बेचलर ऑफ सर्जरी)
योग्यता: 10+2 परीक्षा में जीव विज्ञान, भौतिकी एवं रसायन विज्ञान में 50 प्रतिशत अंक छम्म्ज् में प्राप्त अंकों की मेरिट के आधार पर चयन होता है और विद्यार्थी M.B.B.S की डिग्री प्राप्त कर एलोपैथिक चिकित्सक बन सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा (NEET) के माध्यम से देश के राजकीय एवं निजी चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश दिया जाता है।
राजस्थान में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा संबंधित महाविद्यालयों में इस परीक्षा में उत्र्तीण होने के बाद चिकित्सक हेतु अध्यापन कराया जाता है।
दन्त चिकित्सा
पाठ्यक्रमः B.D.S (बेचलर ऑफ डेन्टल सर्जरी)
छम्म्ज् में M.B.B.S की डिग्री के लिए सीटें पूर्ण हो जाने पर बाकी के विद्यार्थियों का चयन पुनः आगे की मेरिट के आधार बी.डी.एस. के लिए होता है और विद्यार्थी दन्त चिकित्सक बन कर अपनी सेवाएं दे सकता है।
बी.डी.एस. की डिग्री M.B.B.S के समकक्ष ही होती है।
आयुर्वेद चिकित्सा
वर्तमान समय में आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा निरापद (NO SIDE EFFECTS) चिकित्सा पद्वति है। इसमें जड़ी बूटियों द्वारा इलाज किया जाता है। इस चिकित्सा की एक विशेषता यह भी है कि यह चिकित्सा के साथ-साथ एक सम्पूर्ण जीवन जीने की कला भी़ सिखाती है
पाठ्यक्रम: BAMS (बेचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी)
योग्यता: 10+2 (जीव विज्ञान, भौतिक एवं रसायन विज्ञान में 50 प्रतिशत अंक)
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित हंै -
1. डाॅ. एस. राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर।
2. मदनमोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर।
3. श्री भंवरलाल दुग्गड़ आयुर्वेद विश्वभारती गंाधी विद्या मन्दिर, सरदार शहर।
4. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर।
रोजगार के अवसर: आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत राजस्थान सरकार द्वारा पी.एच.सी. पर एक आयुर्वेद चिकित्सक का पद स्वीकृत है। राजस्थान में कई आयुर्वेद औषधालय वर्तमान में कार्यशील हैं।
होम्योपैथी चिकित्सा
आज होम्योपैथी चिकित्सा के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। धीरे-धीरे यह चिकित्सा पद्धति लोकप्रिय हो रही है। इसके द्वारा असाध्य रोगों का उपचार भी संभव है, जो कि एलोपैथिक दवाओं द्वारा लाखों रू. खर्च करने के पश्चात् भी संभव नहीं हो पाता। होम्योपैथिक चिकित्सक के रूप में कॅरियर अपनाने के लिए होम्योपैथी चिकित्सा पाठ्यक्रम करना अनिवार्य है।
1. पाठ्यक्रम: BHMS (बेचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी)
अवधि: 5 वर्ष, इन्टर्नशिप 6 माह
योग्यता: 10+2 जीव विज्ञान के साथ
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
2. पाठ्यक्रम: डिप्लोमा इन होम्योपैथिक मेडिसिन एण्ड सर्जरी(DHMS)
अवधि: 4 वर्ष, इन्टर्नशिप 6 माह
योग्यता: 10+2 जीव विज्ञान से
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
विशेष - जो आवेदक डी.एच.एम.एस. पाठ्यक्रम के उपरान्त बी.एच.एम.एस. पाठ्यक्रम करना चाहते हैं उसके लिए पाठ्यक्रम की अवधि केवल दो वर्ष है।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है -
1. भारतीय होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल, भरतपुर।
2. डाॅ. मदन प्रताप खूंटेटा राजस्थान होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज, सिन्धी कैम्प जयपुर।
3. मांगीलाल निर्बन होम्योपैथिक मेडिकल एण्ड रिसर्च इंस्टीटयूट, बीकानेर।
4. राजस्थान विद्यापीठ होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज, डबोक उदयपुर।
5. स्वास्थ्य कल्याण होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज एण्ड रिसर्च सेन्टर, जय विला, नारायण सिंह रोड जयपुर।
6. युवराज प्रतापसिंह मेमोरियल होम्योपैिथक मेडिकल काॅलेज, अलवर।
रोजगार के अवसर
राजकीय एवं निजी चिकित्सालय में होम्योपैथिक चिकित्सक बनकर सेवाएँ दी जा सकती है। स्वयं का क्लीनिक लगाकर स्व-रोजगार प्रारंभ किया जा सकता है।
फार्मेसी में कॅरियर
विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार से सम्बन्धित दवाईयों के विक्रय एवं वितरण से सम्बन्धित कार्य फार्मासिस्ट द्वारा किया जाता है। इसमें रोजगार के कई अवसर उपलब्ध हैं।
पाठ्यक्रम: B.PHARMA (बेचलर ऑफ फार्मेसी)
योग्यता: 10+2 विज्ञान विषय सहित (रसायन, भौतिक के साथ गणित, जैव प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान)
आयु: न्यूनतम 17 वर्ष
प्रवेश: प्रवेश परीक्षा/मेरिट के आधार पर।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित हैं :
1. भूपाल नोबल्स काॅलेज ऑफ फार्मेसी, उदयपुर।
2. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी एण्ड साइंस, पिलानी।
3. राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, जयपुर।
रोजगार के अवसर: सरकारी क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र में फार्मासिस्ट को रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं।
दवाई उत्पादन, उसके प्रचार प्रसार (एम.आर.), विक्रय आदि क्षेत्र इससे सम्बन्धित हैं।
वेटनरी चिकित्सा
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया जाता है जो आर्थिक दृष्टि से काफी
महत्वपूर्ण है। इन पशुओं को रोग मुक्त रखने एवं उपचार हेतु पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र
में निम्न प्रकार से कॅरियर बनाया जा सकता है।
1. पाठ्यक्रम: B.V.Sc (बेचलर ऑफ वेटेनरी सांइस)
योग्यता: 10+2 (विज्ञान विषय) 50% अंकों के साथ
अवधि: 5 वर्ष (राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा)
1. पाठ्यक्रम: ठण्ैबण् (बेचलर ऑफ साइंस) -डेयरी उद्योग
योग्यता: 10+2
अवधि: 4 वर्ष
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है -
1. काॅलेज ऑफ वेटनरी एण्ड एनिमल साइंस कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर।
2. काॅलेज ऑफ डेयरी एण्ड फूड साइन्स टेक्नोलाॅजी, MPUAT, उदयपुर।
3. महात्मा गांधी वेटनरी काॅलेज, भरतपुर।
रोजगार के अवसर:
1. विभिन्न राजकीय, निजी तथा सहकारी संस्थाओं और चिकित्सालयों में रोजगार के कई अवसर उपलब्ध होते हैं।
2. पशु चिकित्सक स्वयं का दवाखाना संचालित कर इस क्षेत्र में आजीविका कमा सकते हैं।
दन्त तकनीशियन
दन्त तकनीशियन का काम दांतो और दन्त मरम्मत करना है। यह कृत्रिम दांतो का निर्माण व उपकरण दांतो को भरने के कार्य से संबंध रखता कई अवसर होते हंै। उपकरणों का निर्माण तथा उनकी मरम्मत विकल दन्त विज्ञान व अन्य है। अतः इस क्षेत्र दन्त तकनीशियनों को पुनः 14 माह का दन्त शिल्पकार का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
अवधि:- दन्त तकनीशियन (दो वर्षीय)
योग्यता:- 10+2 (विज्ञान सहित) या समकक्ष
आयु:- प्रत्याशी की आयु 17 वर्ष अवश्य होनी चाहिए तथा शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होना चाहिए।
विस्तृत जानकारी शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने के समय के बारे में विभिन्न दन्त महाविद्यालयों से प्राप्त की जा सकती है।
इस चिकित्सा पद्वति के मुख्य अध्ययन केन्द्र राजस्थान में निम्नलिखित है:
1. दर्शन डेन्टल काॅलेज लोयरा, उदयपुर।
2. पेसिफिक डेन्टल काॅलेज देबारी, उदयपुर।
3. गीताजंली डेन्टल काॅलेज, उदयपुर
नर्स ट्रेनिंग
नर्सिंग एक ऐसा कॅरियर है, जिसमें व्यक्ति अपने सेवाभाव व नैतिक गुणों के बल पर अपनी जीविका चला सकता है। इस कॅरियर को लड़के व लड़कियाँ दोनो अपना सकते हैं।
नर्सिंग ट्रेनिंग के मुख्य चार पाठ्यक्रम:
1. सामान्य नर्सिंग (ANM 10वीं उत्तीर्ण)
2. सामान्य नर्सिंग (GNM 10+2 उत्तीर्ण)
3. प्रसूति विद्या पाठ्यक्रम
4. (बी.एससी.) नर्सिंग (10+2 उत्तीर्ण)
आयु सीमा: 16 से 20 वर्ष (आरक्षित वर्गों के लिए नियमानुसार)
प्रवेश: निदेशालय, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएँ, जयपुर राजस्थान द्वारा नर्सिंग ट्रेनिंग में प्रवेश मेरिट के आधार पर किया जाता हैं।
पेरामेडिकल कोर्स: एक विज्ञान जो पूर्व-अस्पताल के आपातकालीन सेवाओं से संबंधित है, उसे पैरामेडिकल साइंस कहा जाता हैं। और इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को एक सहायक चिकित्सक के रूप में संदर्भित किया जाता है। जो उम्मीदवार पैरामेडिकल में कॅरियर बनना चाहते हैं
उनको बता दें कि पैरामेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में काम के प्रमुख क्षेत्रों में रीढ़ की हड्डी में चोट प्रंबधन, फ्रेक्चर प्रबंधन, प्रसूति, जलने और मूल्यांकन के प्रबंधन, और सामान्य दुर्घटना के ह्श्य का मूल्यांकन करते हैं। कुशल परामर्श विशेषज्ञों की बढ़ती मांग ने युवा उम्मीदवारों के लिए कई कॅरियर के अवसर खोले हैं।
पाठ्यक्रम: जो 10 वीं, 12 वीं या स्नातक स्तर की पढ़ाई कर चुके हैं। वो पैरामेडिकल कर सकते
हैं। जो उम्मीदवार पैरामेडिकल में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं उनको बता दें भारत में
पैरामेडिकल पाठ्यक्रम उनको बता दें भारत में पैरामेडिकल पाठ्यक्रम 3 मुख्य स्वरूपों में उपलब्ध हैं-
· बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम
· बैचलर डिग्री पाठ्यक्रम
· डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स
· प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम
12 वीं के बाद सर्वश्रेष्ठ पैरामेडिकल पाठ्यक्रम हैं:
· मेडिकल लैब प्रौद्योगिकी
· मेडिकल एक्स-रे टेक्नोलाॅजी
· चिकित्सा रिकाॅर्ड प्रौद्योगिकी
· ऑपेरशन थियेटर प्रौद्योगिकी
· डायलिसिस प्रौद्योगिकी
· स्वास्थ्य निरीक्षक
· नेत्र प्रौद्योगिकी
अध्यापन में कॅरियर
विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में शिक्षण कार्य करवाने के लिए उचित योग्यताधारी शिक्षकों की आवश्यकता होती है। इसके लिए निन्न प्रकार के अध्यापन पाठ्यक्रम संचालित किए जाते हैं-
1. N.T.T. (पूर्व प्राथमिक शिक्षक)
2. D.Ed./B.S.T.C. (प्राथमिक शिक्षक)
3. B.Ed. (तृतीय श्रेणी/द्वितीय श्रेणी /प्रथम श्रेणी शिक्षक) (विशेष शिक्षा)
4 स्नातक $+ बी.एड. - इंटीग्रेटेड (4 वर्ष)
योग्यता:
10+2 या समकक्ष परीक्षा मे 50 प्रतिशत सामान्य वर्ग हेतु एवं 45 प्रतिशत SC/ST/OBC वर्ग हेतु अंक प्राप्त करना अनिवार्य हैं (क्रम संख्या 1 व 2 हेतु), स्नातक (क्रम संख्या 3 हेतु)
उपरोक्त पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु राज्य सरकार द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा प्री-बीएसटीसी/प्री-डीएड एवं बीएड हेतु पीटीईटी का आयोजन किया जाता हैं।
रोजगार अवसर: उक्त योग्यताधारी व्यक्ति संबंधित विषय मे राज्य, केन्द्र, रेल्वे, सेना काॅर्पोरेट तथा निजी शिक्षण संस्थानों में शिक्षण कार्य कर सकते हैं। स्वयं का ट्यूशन सेन्टर, कोचिंग सेन्टर या पुस्तक लेखन का कार्य कर सकते हैं। साथ ही गैर सरकारी संगठनों के साथ भी काम कर सकते हैं।
(S.T.C.) (उत्तीर्ण करने के बाद)
1. प्रथम स्तर: कक्षा प्रथम से कक्षा पांचवी तक।
योग्यता: न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक अथवा इसके समकक्ष तथा प्रारम्भिक शिक्षा के द्विवर्षीय डिप्लोमा।
अथवा
न्यूनतम 45 प्रतिशत अंको के साथ उच्चतर माध्यमिक अथवा इसके समकक्ष एवं प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में द्विवर्षीय डिप्लोमा चाहे जिस किसी नाम से जाना जाता हो, जो राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (मान्यता, मान्यदण्ड व क्रियाविधि) विनिमय 2002 के अनुसार प्राप्त किया गया हो।
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक अथवा इसके समकक्ष तथा शिक्षा शास्त्र (विशेष शिक्षा) में द्विवर्षीय डिप्लोमा।
अथवा
स्नातक तथा प्रारम्भिक शिक्षा में द्विवर्षीय डिप्लोमा। (B.Ed.) (उत्तीर्ण करने के बाद)
2. द्वितीय स्तर: कक्षा VI - VIII
योग्यता: स्नातक व प्रारम्भिक शिक्षा में द्विवर्षीय डिप्लोमा (चाहे जिस किसी नाम से जाना जाता हो।)
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंको के साथ स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र में एक वर्षीय स्नातक (बी.एड)
अथवा
न्यूनतम 45 प्रतिशत अंको के साथ स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र में एक वर्षीय (बी.एड.)
जो इस सम्बन्ध में समय-समय पर जारी किए गए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् मान्यता, मानदण्ड तथा क्रियाविधि, विनियमों के अनुसार प्राप्त किया गया हो।
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक (अथवा समकक्ष) एवं 4 वर्षीय प्रारम्भिक शिक्षा शास्त्र में स्नातक (बी.इएल.एड.)
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक (या इसके समकक्ष) एवं 4 वर्षीय बी.ए./बी.एससी. बी.एड
अथवा
न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक तथा एक वर्षीय बी.एड (विशेष शिक्षा)
वेबसाइट: www.reetbser.org से विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
विधि शिक्षा
विधि को रोजगार के रूप में अपनाने के लिए कुछ व्यक्तिगत क्षमताओं व विषय संबंधी दक्षता का होना जरूरी
है। वादी-प्रतिवादी के वकील तथा जज सभी विधि के रोजगार से जुडे़ हुए हैं। नियम कानून की पुस्तको में लिखे हुए हैं। उन्हीं के आधार पर किसी व्यक्ति को दोषी या निर्दोष साबित करने का दायित्व इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का है। अतः स्पष्ट है कि इस कार्य को कोई दक्ष व्यक्ति ही कर सकता है। फौजदारी कानून, दीवानी कानून, कर कानून, अन्तर्राष्ट्रीय कानून, श्रम कानून, कार्पोरेट लाॅ, प्राॅपर्टी लाॅ, इंवायरंमेन्टल लाॅ, इंटेलेक्चुअल, पेटेंट लाॅ, काॅपीराइट लाॅ, हयूमन राइट लाॅ, एक्साइज लाॅ, फैमिली लाॅ, काॅन्सिट्यूशनल लाॅ इत्यादि विधि में दक्षता के विभिन्न क्षेत्र हैं।
पाठ्यक्रम: LLB (बेचलर आफ लाॅ एण्ड लेजीशलेशन)
स्नातक +एल.एल.बी (5 वर्षीय इंन्टीग्रेटेड कोर्स)
योग्यता: एल.एल.बी के लिए स्नातक उत्र्तीण
स्नातक+एल.एल.बी के लिए 12वीं कक्षा 50 प्रतिशत से उत्तीर्ण
चयन: प्रवेश परीक्षा (CLAT) (काॅमन लाॅ एडमिशन टेस्ट) के माध्यम से
परीक्षा प्रणाली: 5 वर्षीय एकीकृत बी.ए.,एल.एल.बी. पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए विभिन्न लाॅ संस्थानों में अखिल भारतीय स्तर की प्रवेश परीक्षा (CLAT) होती है, जिसमें निम्नानुसार इंग्लिश यूसेज, मैथेमेटिकल, स्किल्स जनरल नाॅलेज, करेंट अफेयर, लीगल एप्टीट्यूट, लाॅजिकल एण्ड एनालिटी रीजनिंग, पर्सनेलिटी टेस्ट आदि विषयों से जुडे़ शार्ट आंसर व ऑब्जेक्टिव टाइप 200 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें नेगेटिव मार्किंग होती है।
संस्थान:
1. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
2. नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर।
3. शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर।
4. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
5. नेशनल लाॅ यूनिवर्सिटी, जोधपुर।
6. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
7. गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर।
रोजगार के अवसर: वकालत, लीगल एडवाइजर, कंसलटेन्ट, न्यायाधीश, पब्लिक प्राॅसीक्यूटर, विधि
चार्टर्ड एकाउंटेंट (C.A.)
कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 225 के अनुसार प्रत्येक कम्पनी को साल में एक बार कानूनी रूप से अंकेक्षण अर्थात ऑडिट कराना आवश्यक है, जो सी.ए. द्वारा किया जाता है। जिसका मुख्य काम कम्पनी, व्यावसायिक संगठन, सरकारी या निजी बैंक, बीमा कम्पनी आदि का ऑडिट करना होता है। निजी बैंकों व विदेशी कम्पनियों की बढ़ती संख्या की वजह से सी.ए. रोजगार का बेहतर विकल्प बन गया है। इस क्षेत्र में डाॅक्टर और वकील की तरह निजी प्रेक्टिस भी कर सकते हैं।
पात्रता: उच्च माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी फाउण्डेशन कोर्स करके सी.ए. में प्रवेश ले सकते हैं।
पाठ्यक्रम: चार्टर्ड एकाउंटेंट का पाठ्यक्रम करने के लिए प्ब्।प् (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया द्वारा आयोजित निम्नलिखित तीन परीक्षाये क्रमबद्ध रूप से उत्तीर्ण करनी होती हैं।
1. फाउण्डेशन कोर्स
2. इन्टरमिडिएट कोर्स
3. फाइनल कोर्स
सामान्यतः यह परीक्षा मई व नवम्बर में होती है।
चार्टर्ड एकाउंटेंट की इन्टरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद प्रार्थी को किसी अनुभवी सी.ए. के साथ काम सीखना पड़ता है।
संस्थान: भारतीय चार्टर्ड एकाउन्ट्स (लेखाकार) संस्थान का केन्द्रीय कार्यालय दिल्ली में है। छात्र देश भर में संस्थान
के क्षेत्रीय कार्यालयों से सम्पर्क कर सकते हैं।
· सडायरेक्टर ऑफ स्टडीज, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया इन्द्रप्रस्थ मार्ग, नई दिल्ली।
· सडिप्टी डायरेक्टर ऑफ स्टडीज द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया 27, कफ परेड, कोलाबा, मुम्बई।
· ससहायक सचिव द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया 122, नुन्गम बक्कम हाई रोड़, चैन्नई।
· सजाॅइन्ट डायरेक्टर ऑफ स्टडीज, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया 7, रसेल स्ट्रीट, कोलकाता।
· ससहायक सचिव, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इण्डिया 16/77, सिविल लाइन्स, कानपुर।
website-www.icai.org
· रोजगार के अवसर
· सआर्थिक लेखाकार के रूप में।
· सस्वतंत्र व्यावसायिक सलाहकार के रूप में।
· सलागत लेखाकर्म सलाहकार के रूप में।
· सआयकर निर्धारण सलाहकार के रूप में।
· सलेखा प्रबन्धन का कार्य।
· सउद्योगों में नौकरी।
· सकम्पनियों में लेखा जाँचकत्र्ता का कार्य
कम्पनी सेक्रेटरी (C.A.)
आज औद्योगिक घराने पूर्ण रूप से पेशेवर रूप अपनाते जा रहे हैं। इसी कारण हर स्तर पर कुशल व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है। विशेषकर आर्थिक प्रबन्धन के क्षेत्र मे योग्य व्यक्ति ही अधिक सफलतापूर्वक कार्य कर सकते हैं। कम्पनी सचिव का पद बहुत महत्वपूर्ण पद होता है। वह वित्त, कानूनी, प्रशासनिक, लेखा-जोखा आदि कार्यों में कम्पनी को उचित सलाह देता है।
पात्रता:
1. 10+2 उत्तीर्ण विद्यार्थी जिन्होनें कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हो ।
2. जिन्होंने वाणिज्य अथवा (कला के अतिरिक्त) अन्य संकाय में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है
अथवा काॅस्ट एण्ड वक्र्स एकाउंटेंट (प्ब्ॅ।) किया है अथवा सी.ए. किया है वे सीधे कम्पनी सचिव की इन्टरमिडिएट परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
3. यदि छात्र 12वीं की परीक्षा देने वाले हों या दे चुके हों और रिजल्ट न आया हो तो भी वे फाउण्डेशन परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। 6 माह के भीतर 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण प्रस्तुत करना होता है।
चयन प्रक्रिया: कम्पनी सचिव का कोर्स करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ इण्डिया (ICSI) द्वारा आयोजित 3 परीक्षाएँ उत्तीर्ण करनी होती हैं।
· फाउण्डेशन कोर्स (2 घन्टे की परीक्षा में 4 विषय का ज्ञान परख)
· इन्टरमिडिएट (दो समूह में परीक्षा होती है दोनों समूहों में 4-4 विषय होते हैं।)
· फाइनल (दो समूह में परीक्षा होती है दोनों समूहों में 4-4 विषय होते हैं।)
फाउण्डेशन की परीक्षा वर्ष में दो बार होती है, जून तथा दिसम्बर में इन्टरमिडिएट परीक्षा पास के लिए उम्र 17 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। इन्टरमिडिएट परीक्षा पास कर लेने पर उम्मीदवार को फाइनल परीक्षा में पंजीकरण कराना होता है।
संस्थान: द इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ इण्डिया, आई.सी.एस.आई. हाउस 22, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड़, नई दिल्ली।
इसके अतिरिक्त भी देश भर में कई परीक्षा केन्द्र हैं।
कम्पनी सेक्रेटरी संस्थान:
सद इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पनी सेक्रेटरी ऑफ इण्डिया, नई दिल्ली।
सईस्टर्न इण्डिया रिजनल कांउसिल, कोलकाता। सवेस्टर्न इण्डिया रिजनल काउंसिल, मुम्बई।
ससदर्न इण्डिया रिजनल काउंसिल, चेन्नई। सनाॅर्दन इण्डिया रिजनल काउंसिल, नई दिल्ली।
रोजगार के अवसर:
1. राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में।
2. आर्थिक प्रबन्धन के क्षेत्र में।
3. वित्त, कानूनी एवं प्रशासनिक लेखा-जोखा के क्षेत्र में।
4. निजी क्षेत्र में प्रबन्धक के रूप में ।
कास्ट एंड वर्क्स एकाउंटेंसी (I.C.W.A)
आज प्रबन्धकों का कार्य भी चुनौतीपूर्ण व कठिन हो गया है। यही कारण है कि लागत व प्रबन्ध संबंधी लेखा कार्य आपस में मिल-जुल से गए हैं। उत्पादों की लागत का लेखा-जोखा एवं प्रबन्धन का कार्य इस कोर्स को करने वाले आसानी से कर सकते हैं।
पात्रता: आवेदक की उम्र 16 वर्ष से अधिक होनी चाहिए तथा 12वीं पास हो।
चयन प्रकिया: इस पाठ्यक्रम में तीन परीक्षाएँ होती हैं।
1. प्रवेश परीक्षा 2. इन्टरमिडिएट 3. फाइनल
संस्थान: द इंस्टीट्यूट ऑफ काॅस्ट एण्ड वक्र्स अकाउंटेंसी ऑफ इण्डिया, 12 सदर स्ट्रीट, कोलकाता।
क्षेत्रीय कार्यालय:
1. द इंस्टीट्यूट ऑफ काॅस्ट एण्ड वक्र्स अकाउंटेंसी ऑफ इण्डिया, इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड़, नई दिल्ली।
2. द इंस्टीट्यूट ऑफ काॅस्ट एण्ड वक्र्स अकाउंटेंसी ऑफ इण्डिया, रोहित चेम्बर्स, मुम्बई।
3. द इंस्टीट्यूट ऑफ काॅस्ट एण्ड वक्र्स अकाउंटेंसी ऑफ इण्डिया, मारिएथ लेन, एगमोर, चेन्नई।
4. द इंस्टीट्यूट ऑफ काॅस्ट एण्ड वक्र्स अकाउंटेंसी ऑफ इण्डिया, कोलकाता।
website-www.icmai.in
रोजगार के अवसर:
· व्यापार में उत्पादों की लागत का लेखा-जोखा रखने के लिए कन्सलटेन्ट के रूप में।
· नई विधि से उत्पाद को डिजाइन करने के लिए विशेषज्ञ के रूप में।
· व्यापारिक लेन-देन का आन्तरिक अंकेक्षण करने के रूप में।
· निवेश विश्लेषक की भूमिका में।
· मूलधन व अन्य नकदी संबंधी प्रबन्धन के रूप में।
कला क्षेत्र में कॅरियर
बच्चों को विद्यालय में कला अथवा हस्तकला आवश्यक रूप से सिखाई जाती है। अनेक बच्चों को चित्रकला का विशेष शौक होता है और वे ऑन द स्पोट प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीतते हैं। प्रायः लोग यह कहकर कला के क्षेत्र में जिज्ञासु लोगों को हताश कर देते हैं कि कलाकार पैसों के लिए जिन्दगी भर संघर्ष करते हैं फिर भी भूखे मरते हैं।
जबकि यह धारणा सर्वथा गलत है। विभिन्न प्रचलित कलाएँ व उनमें से सम्बन्धित क्षेत्र निम्न हैं -
1. पेन्टिंग
2. मूर्ति कला
3. काॅमर्शियल आर्ट
4. ग्राफिक आर्ट
5. अप्लाइड आर्ट
6. कार्टून
पाठ्यक्रम: डी.एफ.ए. (डिप्लोमा इन फाइन आट्र्स)
बी.एफ.ए. (बेचलर ऑफ फाइन आट्र्स)
बी.ए. (बेचलर ऑफ आट्र्स)
योग्यता: 12वीं/स्नातक
संस्थान:
1. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
2. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
3. वनस्थली विद्यापीठ, वनस्थली, टोंक।
4. महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर।
रोजगार के अवसर:
1. अप्लाइड आर्ट तथा काॅमर्शियल आर्ट के विशेषज्ञ ललित कला के पाठ्यक्रम करने के पश्चात् टी.वी. या फिल्मी स्टूडियो में काम कर सकते हैं।
2. कला के विशेषज्ञ किसी स्कूल अथवा काॅलेज मे शिक्षण कार्य कर सकते हैं। कला स्टूडियो, विज्ञापन एजेन्सी, प्रकाशन गृह, समाचार पत्रक समूहों, वस्त्र डिजाइनिंग में लगी कम्पनियों में कार्य कर सकते हैं।
आर्किटेक्चर में कॅरियर
रोजाना नए निर्माण कार्यों और उनमें उत्तरोत्तर वृद्धि के साथ ही आर्किटेक्चर्स की मांग भी बढ़ने लगी है। छोटे शहरों में भी लोग अपना मकान बनाने के लिए आर्किटेक्ट की सेवाएँ लेना उचित समझने लगे हैं, ताकि उनके सीमित स्थान का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके तथा मकान आधुनिक ढंग से भव्य और मनमोहक बन सके।
पाठ्यक्रम: आर्किटेक्चर में डिग्री अथवा डिप्लोमा
योग्यता: 10+2 उत्तीर्ण
चयन प्रक्रिया: प्रवेश परीक्षा/सीधी भर्ती
प्रशिक्षण संस्थान:
1. आयोजन स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, जयपुर।
2. स्कूल ऑफ प्लानिंग एण्ड आर्किटेक्चर, इन्द्रप्रस्थ एस्टेट नई दिल्ली।
3. मालवीय रीजनल इंजीनियरिंग काॅलेज, जयपुर।
4. रूड़की विश्वविद्यालय, रूड़की।
5. चंडीगढ़ काॅलेज ऑफ आर्किटेक्चर, चंडीगढ़।
6. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
7. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
8. आई एन आई एफ डी ;प्छप्थ्क्द्धए उदयपुर।
9. एन.आई.एफ.टी., अहमदाबाद।
प्राचीनकाल से ही भ्रमण करना मानव की सहज प्रवृति में से एक रही है और वर्तमान में इस प्रवृति ने रोजगार एवं व्यवसाय के लिए महती संभावनाएँ उत्पन्न की हैं।
कोर्स:
1. डिप्लोमा इन टूरिज्म
2. एडवांस डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज
3. डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज
4. बेचलर ऑफ ट्युरीज्म मेनेजमेन्ट ;ठज्डद्ध
5. मास्टर ऑफ ट्युरीज्म मेनेजमेन्ट ;डज्डद्ध
योग्यता: कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
संस्थान:
1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेªवल एण्ड टूरिज्म मैनेजमेंट, ग्वालियर ।
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
3. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर।
4. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
5. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
रोजगार के अवसर:
पर्यटन उद्योग में कुछ लोकप्रिय क्षेत्र हैं जैसे एयरलाइंस एवं इससे संबंधित क्षेत्र, टेªवल एजेंट, रिजर्वेशन एजेंट,टूर ऑपरेटर, अन्तर्राष्ट्रीय टूर ऑपरेटर, टेªवल गाइड, पब्लिक रिलेशन ऑफिसर, भाषा विशेषज्ञ, इवेंट काॅर्डिनेटर, इवेंट मैनेजर, एडवेंचर टूरिज्म, व्हीकल सप्लायर, एडवेंचर टूरिज्म गाइड आदि।
पर्यटन क्षेत्र में करिअर
प्राचीनकाल से ही भ्रमण करना मानव की सहज प्रवृति में से एक रही है और वर्तमान में इस प्रवृति ने रोजगार एवं व्यवसाय के लिए महती संभावनाएँ उत्पन्न की हैं।
कोर्स:
1. डिप्लोमा इन टूरिज्म
2. एडवांस डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज
3. डिप्लोमा इन टूरिज्म स्टडीज
4. बेचलर ऑफ ट्युरीज्म मेनेजमेन्ट ;ठज्डद्ध
5. मास्टर ऑफ ट्युरीज्म मेनेजमेन्ट ;डज्डद्ध
योग्यता: कक्षा 12वीं उत्तीर्ण
संस्थान:
1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेªवल एण्ड टूरिज्म मैनेजमेंट, ग्वालियर ।
2. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
3. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर।
4. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
5. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
रोजगार के अवसर:
पर्यटन उद्योग में कुछ लोकप्रिय क्षेत्र हैं जैसे एयरलाइंस एवं इससे संबंधित क्षेत्र, टेªवल एजेंट, रिजर्वेशन एजेंट,टूर ऑपरेटर, अन्तर्राष्ट्रीय टूर ऑपरेटर, ट्रेवल गाइड, पब्लिक रिलेशन ऑफिसर, भाषा विशेषज्ञ, इवेंट काॅर्डिनेटर, इवेंट मैनेजर, एडवेंचर टूरिज्म, व्हीकल सप्लायर, एडवेंचर टूरिज्म गाइड आदि।
आपदा प्रबन्धन में कॅरियर
तेजी से बदलते मौसम चक्र और बढ़ रही प्राकृतिक आपदाओं के इस दौर में प्राकृतिक एवं मानवजन्य आपदाओं से जूझने की कुशल रणनीति बनाने का प्रबन्ध आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत किया जाता है।
कोर्स:
1. डिजास्टर मैनेजमेंट में डिप्लोमा
2. डिजास्टर प्रबन्ध में अल्पावधि कोर्स
3. पब्लिक सेफ्टी व आपदा प्रबन्ध अल्पावधि कोर्स
4. फायर एण्ड सेफ्टी मेनेजमेन्ट कोर्स
योग्यता: 10+2 उत्तीर्ण
अवधि: अधिकांश आपदा प्रबन्धन कोर्स 6 माह एवं एक वर्ष अवधि के हैं।
पाठ्यक्रम:
प्रत्येक वर्ष आने वाली विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं और बाढ़, भूकम्प, सूखा आदि से निपटने और उनके बाद पुनर्वास से संबंधित कार्य आपदा प्रबन्धन पाठ्यक्रम में पढ़ाये जाते हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रेक्टिकल के माध्यम से भी आपदाओं से निपटने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
देश के विभिन्न आपदाग्रस्त क्षेत्र का आंकलन, आपदा उपरान्त पुनर्वास में सहायता, आपदा के नकारात्मक प्रभावों को मानसिक एवं साइकोलोजिकल तरीकों से कम करने में योगदान देना, भविष्य में उन क्षेत्रों के बारे में आपदा व प्रबन्धन संबंधित सुझाव देना।
संस्थान:
1. विश्वश्वेरया इंस्टीट्यूट ट्रेवल ऑफ फायर एण्ड सेफ्टी मेनेजमेन्ट, उदयपुर।
2. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
3. नेशनल सिविल डिफेंस काॅलेज, नागपुर।
4. इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
5. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेन्ट, नई दिल्ली।
रोजगार के अवसर:
रोजगार के लिए किसी एन.जी.ओ, शासकीय आपदा सेल, अनुबंध आधारित पुनर्वास के सहयोग, प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जैसे रेडक्राॅस आदि में कार्य करने के साथ आपदा शिक्षण और विदेशों में आपदा से जुड़ी एजेंसियों के साथ कार्य करने के अच्छे अवसर उपलब्ध हैं।
भाषा-विज्ञान में कॅरियर
इन दिनों तेजी से बदलते विश्व परिदृश्य और सूचना प्रौद्योगिकी के युग में कॅरियर के नित नए आयामों में विदेशी भाषाओं के जानकारों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
कोर्स:
1. सर्टिफिकेट इन फाॅरेन लैंग्वेज
2. डिप्लोमा इन फाॅरेन लैंग्वेज
3. बेचलर इन फाॅरेन लैंग्वेज
योग्यता: 12वीं कक्षा उत्तीर्ण
विशेषज्ञता: भाषा विज्ञान में कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त की जा सकती है। इनमें फोनेटिक, फोनोलोजी, सिटेक्स,सीमेटिक्स, प्राग्मेटिक्स, सोशियो लिंग्वीस्टिक्स, हिस्टोरिकल लिंग्वीस्टिक्स, यूनिवर्सल टाइपोलोजी, एक्विशन एप्लाइड,लिंग्वीस्टिक्स, एन्थ्रोंपोलोजिकल लिंग्वीस्टिक्स, न्यूरो लिंग्वीस्टिक्स, एंथ्रो लिंग्वीस्टिक्स, साइको लिंग्वीस्टिक्स, टेक्स्ट एनालिसिस तथा द्विभाषा अनुवादक प्रमुख हैं।
संस्थान:
1. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
2. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
3. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
4. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर।
5. द स्कूल ऑफ लैंग्वेज, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली।
6. सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंग्लिश एण्ड लैंग्वेज, हैदराबाद।
7. केन्द्रीय हिन्दी संस्थान कैलाश काॅलोनी, नई दिल्ली।
8. गुरूनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर।
9. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस।
10. उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
योग में कॅरियर
वर्तमान में जिस तरह योग लोकप्रिय हुआ है उससे इस क्षेत्र में कॅरियर के बहुत ही अच्छे अवसर उत्पन्न हो गये हैं।
कोर्स: डिप्लोमा इन योग/डिग्री इन योगा
योग्यता: 12 वीं उत्तीर्ण
अवधि: एक वर्ष/तीन वर्ष
संस्थान:
1. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ।
2. राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड) विश्वविद्यालय, उदयपुर ।
3. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी ।
4. मुंबई विश्वविद्यालय एम.जी. रोड फोर्ट, मुंबई ।
5. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर ।
6. गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार ।
रोजगार के अवसर:
आजकल पांच सितारा होटलों में योग अध्यापकों की निरन्तर मांग रहती है होटलों में योग सिखाने वाले को अच्छी तनख्वाह मिलती है। यहाँ से उन्हें कुछ निजी क्लाइंट भी मिल सकते हैं। हेल्थ क्लब में योग प्रशिक्षकों की मांग रहती है। अनेक वृद्ध, बीमार, विकलांग लोगों को नियमित योग अभ्यास की आवश्यकता होती है, उनके घर जाकर योग का शिक्षण देकर योग प्रशिक्षक अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।
खेलों में कॅरियर
आदिकाल से ही खेलों को मनोरंजन एवं शारीरिक व्यायाम का साधन माना जाता रहा है। आधुनिक युग में खेल केवल मनोरंजन या शौक ही न होकर कॅरियर निर्माण का भी एक सुदृढ़ क्षेत्र बन गया है। इसमें रोजगार के अनेक क्षेत्र हैं जिनमें कॅरियर बनाया जा सकता है। शिक्षा मंत्रालय ने भी नई शिक्षा नीति के तहत शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया है। खेलों में प्रशिक्षण देने के लिए आज विभिन्न छोटे-बडे़ शहरों के विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
कोर्स: सी.पी.एड., बी.पी.एड., एम.पी.एड., एम.फिल, पी.एचडी. इन स्पोट्र्स
योग्यता: 10+2 व स्नातक कोर्स अनुसार
संस्थान:
1. नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल प्रशिक्षण संस्थान, पटियाला ।
2. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर ।
3. रानी लक्ष्मीबाई फिजिकल एजुकेशन संस्थान, ग्वालियर ।
4. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ।
5. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ।
6. गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर ।
7. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई ।
8. इन्दिरा गांधी इंस्टीट्यूट मुंबई ऑफ फिजिकल एजुकेशन एण्ड स्पोट्र्स साइंस दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
रोजगार के अवसर:
खेल प्रशिक्षक, शारीरिक शिक्षक, खिलाड़ी, एडवेंचर स्पोर्ट्स शाॅप, गेम्स ट्रेनिंग स्कूल, फिटनेस सलाहकार एवं फिटनेस सेंटर, एरोबिक्स सलाहकार एवं सेंटर तथा खेल सामग्री मैन्युफेक्चरर आदि।
फ्यूचर स्पोट्र्स कॅरियर:
स्पोट्र्स मैनेजर, स्पोट्र्स एजेंट, स्पोट्र्स एडमिनिस्ट्रेटर, स्पोट्र्स मार्केटिंग, एडवाइजर, स्पोट्र्स कम्पनी काॅर्डिनेटर और स्पोट्र्स साइकोलोजिस्ट आदि ।
होटल मैनेजमेंट में कॅरियर
भारत में छोटे-बड़े होटलों की संख्या बहुत है। ऊँचा वेतन और आकर्षक सुविधाओं के साथ ही प्रतिष्ठा से युक्त कॅरियर के रूप में होटल व्यवसाय, युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। होटल व्यवसाय में रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है।
कोर्स: होटल मैनेजमेंट केटरिंग एण्ड न्यूट्रीशन (अवधि-3 वर्ष) बी.एससी. (अतिथि सत्कार एवं होटल प्रशासन)
डिप्लोमा इन फ्रन्ट ऑफिस एण्ड होटल (अवधि-1 वर्ष 6 माह)
होटल प्रबन्धन में अल्प अवधि पाठ्यक्रम (6 से 8 माह)
(अ) हाउस कीपिंग (ब) कुकरी (स) फूड एण्ड बेवरीज सर्विस
योग्यता: 12वीं उत्तीर्ण (अल्प अवधि पाठ्यक्रमों हेतु 8 वीं उत्तीर्ण)
प्रवेश: मेरिट आधारित/ लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार
संस्थान: नेशनल काउंसिल फोर होटल मैनेजमेंट एवं केटरिंग टेक्नोलोजी का मुख्यालय नई दिल्ली स्थित पूसा कैंपस में है, इसकी प्रशिक्षण शाखाएँ सारे देश में कार्यरत हैं। अन्य प्रमुख संस्थान निम्न हैं-
1. इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन, चण्डीगढ़।
2. फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट होटल खिदमत, अजमेर।
3. राजकीय पाॅलीटेक्निक काॅलेज, जोधपुर।
4. इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट एण्ड केटरिंग, उदयपुर।
5. राष्ट्रीय होटल प्रबन्धन एवं केटरिंग टेक्नोलोजी परिषद्, दिल्ली।
6. होटल एण्ड केटरिंग मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, चंडीगढ़।
7. डाॅ. अम्बेडकर होटल प्रबन्ध, खानपान व्यवस्था एवं पोषाहार संस्थान, चंडीगढ़।
रोजगार के अवसर: सत्कार व्यवस्था, भोजन व्यवस्था, जनसम्पर्क, रूम सेवा, भोजनालय, व्यावसायिक विभाग, लेखा विभाग, सेल्स व मार्केटिंग, स्वागत सेवा, इंटीरियर सजावट सेवा आदि ।
टैक्सटाइल डिजाइन में कॅरियर
टेक्सटाइल डिजाइनिंग ग्लैमरपूर्ण आय प्रधान और रचनात्मक संतुष्टि वाला व्यवसाय है। आज भारत में जगह-जगह फैशन शो का आयोजन हो रहा है। अनेक प्रतिष्ठित लोगों के नाम इससे जुड़ गए हैं। आज के इस युग में एक्सपोर्ट हाउस की प्रगति ने कॅरियर के अन्तर्गत नया आयाम जोड़ा है।
योग्यता: माध्यमिक/उच्च माध्यमिक उत्तीर्ण
अन्य योग्यताएँ:
· कल्पनाशील हो।
· चित्रकला में दक्ष हो।
· रेखाचित्र बनाने में दक्ष हो।
· विभिन्न डिजाइनों से नई डिजाइन बनाने में दक्ष हो।
· टेलरिंग में दक्षता, कटिंग, सिलाई एवं विभिन्न फैब्रिक्स का ज्ञान हो।
पाठ्यक्रम: वर्तमान में पाॅलिटेक्निक महाविद्यालयों में छात्राओं से सम्बन्धित कई पाठ्यक्रम चल रहे हैं। जैसे
1. परिधान निर्माण व फैशन काॅर्डिनेशन (2 वर्षीय डिप्लोमा)
2. फैशन डिजाइन (2 व 3 वर्षीय पाठ्यक्रम)
3. उत्पादन तकनीकी पाठ्यक्रम
4. परिधान मार्केटिंग एवं विपणन
रोजगार के अवसर: वस्त्र प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थियों को निम्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। डिजाइनर, सहायक डिजाइनर, स्केचर, कटिंग सहायक, जूनियर डिजाइनर, फैशन शो प्रबन्धक आदि ।
स्वरोजगार: टेक्सटाइल डिजाइनर स्वयं का वस्त्र निर्माण उद्योग एवं फैशन डिजाइनिंग उद्योग स्थापित कर सकता है। अन्य संस्थानों के साथ साझा वस्त्र निर्माण कार्य प्रारम्भ करके उन्हें विदेशी बाजार में विक्रय कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
संस्थान:
1. आई एन आई एफ डी, ;प्छप्थ्क्द्ध
2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलोजी, नई दिल्ली।
3. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलोजी, गांधीनगर।
4. पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन्स, नई दिल्ली।
5. यूनिवर्सिटी ऑफ मुम्बई, मुंबई।
6. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग, जयपुर।
7. ए.टी.डी.सी. व्यावसायिक संस्थान, गुड़गांव।
पत्रकारिता में कॅरियर
दुनिया में हो रहे तीव्र परिवर्तनों के सम्बन्ध में ज्यादा विकास संचार के क्षेत्र में ही हुआ है। इधर हाल के वर्षों में पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों की मांग तेजी से बढ़ी है। पत्रकारिता से जुड़े लोगों के लिये अनेक नवीन क्षेत्र खुले हैं। युवाओं का आकर्षण इस ओर बढ़ा है।
कोर्स: पत्रकारिता में डिप्लोमा/पत्रकारिता में डिग्री
BJMC (बेचलर ऑफ जर्नलिज्म एण्ड मासकम्यूनिकेशन)
शैक्षिक योग्यता: 10+2 उत्तीर्ण व स्नातक (डिग्री कोर्स हेतु)
अतिरिक्त योग्यता:
1. भाषा पर पूरा अधिकार हो।
2. स्वस्थ शरीर और लगातार दबाव में भी काम करने की क्षमता हो।
3. समाज व आसपास हो रही घटनाओं में रुचि हो तथा इन घटनाओं का निरन्तर प्रेक्षण, निरीक्षण विश्लेषण व प्रस्तुतीकरण में भी रुचि रखते हों।
4. अध्ययनशील, सद्व्यवहारी हो।
संस्थान:
1. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर।
2. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
3. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
4. कमला नेहरू काॅलेज, नई दिल्ली।
5. उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
6. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल।
रोजगार के अवसर:
आज देश भर में कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं व समाचार चैनलों में रोजगार के असंख्य अवसर उपलब्ध हैं। साथ ही वेबसाइट व न्यूज पोर्टल तथा एफ.एम रेडियो ने भी अवसरों की उपलब्धता में वृद्धि की है।
संगीत के क्षेत्र में कॅरियर
संगीत मानव जीवन के लिए प्रकृति का एक अदभुत उपहार है। संगीत एक जादुई अनुभूति है और इसका प्रभाव प्रत्येक संवदेनशील प्राणी पर होता है।
संगीत के क्षेत्र में निम्न प्रकार के कॅरियर हो सकते हैं -
1. गीतकार: जिन्हें साहित्य में रुचि हो, साथ ही व्यावहारिक जीवन, परम्पराओं, सामाजिक मर्यादाओं का ज्ञान हो, वे अच्छे गीतकार बन सकते हैं।
2. संगीतकार: संगीत में स्वरों को सुव्यवस्थित कर गीत के आधार पर धुन तैयार करने की योग्यता रखने वाले संगीतकार बन सकते हैं।
3. कम्पोजर: एक गीत में कई प्रकार के वाद्यों का प्रयोग होता है। किस वाद्य का प्रयोग किस स्थान पर होना है या किसी विशेष गीत में कौन से वाद्य प्रमुखता से लेने हैं। इस कार्य में ज्ञान व रुचि रखने वाले कम्पोजर बन सकते हैं।
4. प्रबंधक: इस क्षेत्र की अत्यधिक उपादेयता है, क्योंकि अच्छा संगीत जन-जन तक पहुँचे, इसके लिए कुशल प्रबंधन की आवश्यकता होती है। एक अच्छा प्रबंधक गीतकार, गायक, संगीतकार व संगीत कम्पनी के बीच समायोजन करता है। साथ ही उसकी एडवरटाइजिंग व मार्केटिंग भी देखता है। आजकल इसी तरह के कई आयोजन दूरदर्शन के विभिन्न चैनल्स आयोजित कर रहे हैं।
5. प्रोड्यूसर: ये बजट जुटाने से लेकर रिकार्डिंग तक सम्पूर्ण कार्य करते हैं।
6. संगीत शिक्षक: विभिन्न शिक्षण संस्थानो में संगीत गुरु के रूप में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
7. गायक/गायिका: सुमधुर आवाज के धनी को रोजगार के अन्य साधनों की आवश्यकता नहीं होती है।
8. वादक: किसी विशेष वाद्य यंत्र में विशेषज्ञता प्राप्त कर रोजगार प्राप्त कर सकते हंै।
संगीत प्रशिक्षण संस्थान:
1. अजमेर म्यूजिक काॅलेज, अजमेर।
2. वनस्थली विद्यापीठ, वनस्थली।
3. गंधर्व महाविद्यालय, नई दिल्ली।
4. प्रयाग संगीत समिति, इलाहाबाद।
5. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ (छत्तीसगढ़)।
6. भातखंडे संगीत महाविद्यालय, लखनऊ।
7. ललित कला संकाय राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
8. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
इन्श्योरेन्स मैनेजमेंट में कॅरियर
बीमा क्षेत्र में कॅरियर बनाने हेतु इन्श्योरेन्स मैनेजमेंट में डिप्लोमा/कोर्स किए जा सकते हैं। देश में अनेक संस्थानों द्वारा इन्श्योरेन्स मैनेजमेंट में विशिष्ट कोर्स करवाए जाते हैं।
इन्श्योरेन्स मैनेजमेंट हेतु कुछ प्रमुख कोर्स इस प्रकार हैंः-
योग्यता: 10+2 उत्तीर्ण
कोर्स: एडवांस सर्टिफिकेट इन इन्श्योरेन्स बिजनेस मैनेजमेंट
संस्थान:
1. बिरला इंस्टीट्यूट छत्तीसगढ़ ऑफ टेक्नोलोजी पिलानी/रांची।
2. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
3. गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर।
4. उस्मानिया, हैदराबाद।
5. इन्श्योरेन्स इंस्ट्रीट्यूट फाॅर एज्यूकेशन एण्ड ट्रेनिंग, मुम्बई।
विक्रय एवं विपणन (सेल्स एण्ड मार्केटिंग) में कॅरियर
भारतीय तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विस्तार एवं उत्पाद के विक्रय हेतु दक्ष प्रशिक्षकों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। वर्तमान में व्यापारिक क्षेत्र में रुचि रखने वाले अधिकांश छात्रों का झुकाव इस क्षेत्र में बढ़ रहा है।
राजकीय एवं निजी प्रशिक्षण संस्थाए विभिन्न पाठ्यक्रम आयोजित कर प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। प्रशिक्षण पश्चात् इन संस्थाओं द्वारा रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाते हैं।
क्रसं |
पाठ्यक्रम |
अवधि |
योग्यता |
चयन |
1 |
ग्रेजुएट डिप्लोमा इन ग्लोबल सेल्स एण्ड मार्केटिंग |
2/3 वर्ष |
10+2 उत्तीर्ण |
प्रवेश परीक्षा एव साक्षात्कार के आधार पर |
2 |
डिप्लोमा इन सेल्स एण्ड मार्केटिंग | 6 माह |
10+2 उत्तीर्ण |
प्रवेश परीक्षा एवं साक्षात्कार के आधार पर। |
संस्थान:
1. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर।
2. इंस्टीट्यूट ऑफ सेल्स एण्ड मार्केटिंग, नई दिल्ली।
3. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
4. उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद।
उक्त संस्थानों के अतिरिक्त कई अन्य विश्वविद्यालय तथा निजी संस्थान भी इस तरह के पाठ्यक्रम संचालित करते हैं।
रोजगार के अवसर:
निजी व सार्वजनिक क्षे़त्र की कम्पनियों में विपणन अधिकारी, विक्रय एजेन्ट आदि के रूप में कार्य किया जा सकता है।
बागवानी/कृषि के क्षैत्र में केरियर
देश में जैसे-जैसे पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, वैसे-वैसे बागवानी का महत्व बढ़ता जा रहा है। विभिन्न संस्थान एवं कम्पनियाँ पर्यावरण मित्र की छवि बनाने के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। अब होर्टिकल्चर को कृषि विज्ञान के क्षेत्र में विशेष महत्व मिल रहा है।
प्रवेश प्रक्रिया: 10$2 के उपरान्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं।
प्रमुख संस्थान:
1. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् पूसा, नई दिल्ली।
2. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर।
3. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना।
4. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर।
5. राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर।
6. जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर उत्तरांचल।
रोजगार के अवसर: भारत सरकार एवं राज्य सरकार भी कृषि अनुसंधान परिषद् के माध्यम से समय-समय
पर रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं। इस क्षेत्र में पर्यावरण मित्र का पुरस्कार भी देती है।
कृषि से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्र योग्यता: 10+2, कृषि
· कृषि अभियान्त्रिकी में प्रवेश हेतु JET प्रवेश परीक्षा
B.Sc. (Agri.), B.Sc. (Horti. & Forestry), B. Tech. (DT /FT)
· प्रवेश परीक्षा पास करने के पश्चात् B. Tech. Dairy, B. Tech Food, B.E. / B. Tech/ Engg.
रोजगार के अवसर:
· ग्राम सेवक/(कृषि विस्तार अधिकारी) ऽकृषि प्रसार अधिकारी
· डेयरी उद्योग ऽरेशम उद्योग
· मधुमक्खी पालन ऽमछलीपालन
· पशुपालन ऽपुष्प एवं फसल उत्पादन
· फल, सब्जी उत्पादन ऽपोल्ट्री व्यवसाय
· पौध कीट व्याधि अधिकारी
· कृषि में तीन वर्षीय डिप्लोमा कृषि डिप्लोमा संस्थान, नागौर द्वारा करवाया जाता है जिसकी शैक्षणिक
· योग्यता 10 वीं उत्तीर्ण हैं।
फूड टेक्नोलोजी में कॅरियर
फूड टेक्नोलोजी में खाद्य पदार्थों के जैव रासायनिक विश्लेशण के साथ उनको सुरक्षित रखने की विभिन्न विधियों की जानकारी दी जाती है। इसमें खाद्य पदार्थो की पैकिंग, डी-हाईड्रेशन, फ्रीजिंग एवं खमीरीकरण की तकनीकों को सिखाया जाता है।
पाठ्यक्रम:
फूड टेक्नोलोजी में सर्टिफिकेट
फूड टेक्नोलोजी में डिप्लोमा
फूड टेक्नोलोजी में उपाधि
अवधि: 2 वर्ष/4 वर्ष
योग्यता: 10वीं कक्षा उत्तीर्ण/10$2 कक्षा उत्तीर्ण
निम्न संस्थानों से फूड टेक्नोलोजी के विभिन्न सर्टिफिकेट डिप्लोमा अथवा उपाधि पाठ्यक्रम किए जा सकते हैंः-
1. आई.आई.टी., खड़गपुर।
2. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, चंडीगढ़।
3. महर्षि दयानन्द सरस्वती यूनिवर्सिटी, अजमेर।
4. काॅलेज ऑफ डेयरी एण्ड फूड साइंस टेक्नोलोजी, उदयपुर।
5. काॅलेज ऑफ टेक्नोलोजी एण्ड एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, उदयपुर।
6. फूड न्यूट्रीशन एण्ड डाइट थैरेपी, श्री वेंकटश्वरा विश्वविद्यालय, तिरूपति।
7. पब्लिक हैल्थ न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनोमिक्स, नई दिल्ली।
8. अविनाशलिंगम् इंस्टीट्यूट फाॅर होम साइंस एण्ड हायर एजुकेशन फाॅर वूमन, कोयम्बटूर।
रोजगार के अवसर:
फूड टेक्नोलोजी पाठ्यक्रम पूरा करने पर होटल एवं रेस्टोरेंट, फूड कम्पनी, आइसक्रीम फेक्ट्री, पोल्ट्री फार्म तथा फल संरक्षण में रोजगार प्राप्त कर सकते है।
समाज सेवा में कॅरियर
समाज सेवा एक कला है अर्थात् उपलब्ध संसाधनों एवं जुटाये जाने वाले साधनों का सही उपयोग कर उन्हें सही लोगों तक पहुँचाना ही समाज सेवा कहलाती है। समाजसेवी गरीबी, बेरोजगारी, असामाजिक तत्वों, पारिवारिक समस्याओं, अपंगों और साधनों की कमी के कारण उत्पन्न होने वाली सामाजिक समस्याओं को बढ़ने से रोकने का प्रयास करते हैं। समाज सेवा में कॅरियर की नई उँचाइयों को छुआ जा सकता है।
पाठ्यक्रम:
1. बेचलर ऑफ सोशल वर्क (BSW)
2. मास्टर ऑफ सोशल वर्क (MSW)
3. इन्टीग्रेटेड कोर्स (BSW- M.A.) 5 वर्षीय
योग्यता: 10+2 स्नातक कोर्स के लिए (स्नाकोत्तर के लिए स्नातक आवश्यक)
चयन: लिखित एवं साक्षात्कार के आधार पर
व्यक्तिगत गुण: समाज सेवा, दृढ़ इच्छाशक्ति, जागरूकता, विचारों की स्पष्टता तथा व्यक्तिगत शुचिता आदि प्रमुख गुण हैं।
समाज सेवा के क्षेत्र: चिकित्सा, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, वन एवं पर्यावरण, सामाजिक एवं घरेलू समस्याओं पर परामर्श, कुपोषण, युद्ध, दंगा-फसाद, राजनैतिक गतिविधियाँ गरीबी, सामाजिक कुरीतियाँ आदि सेवा क्षेत्र हैं।
संस्थान:
1. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
2. राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर।
3. राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर।
4. मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई।
5. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, देवनगर मुम्बई।
6. दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली।
7. सरदार पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ पुलिस सिक्योरिटी एण्ड क्रिमिनल जस्टिस, जोधपुर।
रोजगार के अवसर:
देश में सभी बड़ी कम्पनियाँ अपने अधीन एक समाज सेवा विभाग संचालित करती हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं सहित समाज में व्याप्त अन्य समस्याओं के निवारण के लिए समाज सेवा का कार्य करती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियाँ भी इसी तरह की विंग संचालित करती हैं।
कम्प्यूटर के क्षैत्र में केरियर
आज जिस तेजी से कम्प्यूटर का प्रचलन बढ़ रहा है। उसे देखते हुए आज के युग को कम्प्यूटर का युग कहना उचित होगा। स्कूलों में बच्चों को कम्प्यूटर की पढ़ाई पहली कक्षा से ही कराई जाने लगी है। कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी से विद्यार्थी सरलता से किसी भी संस्थान में रोजगार प्राप्त कर सकता है। इस क्षेत्र में कई तकनीकी व व्यावसायिक पाठ्यक्रम रोजगारोन्मुखी हैं।
1. डाटा प्रोसेसिंग एण्ड कम्प्यूटर साॅफ्टवेयर: यह एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम देश के अधिकांश आई.टी.आईकेन्द्रों पर उपलब्ध है। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदक को 12 वीं उत्तीर्ण होना चाहिए।
2. ओ/ए/बी/सी/पाठ्यक्रम: भारत सरकार के इलेक्ट्राॅनिक्स विभाग (DOEACC) के अन्तर्गत चार पाठ्यक्रम O/A/B/C कम्प्यूटर शिक्षा से संबंधित हैं। ये पाठ्यक्रम भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा वैध हैं। इन पाठ्यक्रमों को करके रोजगार प्राप्त किया जा सकता है।
‘ओ’ स्तर का पाठ्यक्रम एक वर्षीय पाठ्यक्रम है, जिसे फाउण्डेशन पाठ्यक्रम कहा जाता है। कक्षा 10वीं पास करके आई.टी.आई. से एक वर्षीय सर्टीफिकेट कोर्स लेने पर ‘ओ’ पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जा सकता है। “ए“ पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए “ओ“ पाठ्यक्रम उत्तीर्ण करना आवश्यक है। अथवा 10वीं या 12वीं कक्षा के पश्चात् किसी पाॅलीटेक्निक काॅलेज से इंजीनियरिंग का डिप्लोमा किया होना चाहिए।
सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संचालित विभिन्न प्रकार के कोर्सेज देश के विभिन्न मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा
संचालित किये जाते हैं। इनमें से कुछ अग्र अनुसार हैं:
कम्प्यूटर एजुकेशन एण्ड टेªनिंग डिविजन द्वारा संचालित पाठ्यक्रम
संस्थान:
· मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर।
· गुरू गोविन्द सिंह जनजाति विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा।
· राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, अजमेर।
· वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा।
· जिला ग्रामीण व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं उद्यमकर्ता विकास केन्द्र, उदयपुर।
RS- CIT
अनेक सरकारी नौकरियों में एक आवश्यक पात्रता त्ै. ब्प्ज् कोर्स पास है। यह एक मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय स्तर का परिपूर्ण कम्प्यूटर कोर्स है।
योग्यता : 12वीं उत्तीर्ण
अवधि : 2 से 3 माह
पाठ्यक्रम
· इन्टरनेट ई-मेल
· अकाउन्ट खोलना
· ई-बुक्स पढ़ना
· विदेशी भाषा सीखना
· सोशल नेटवर्किंग
· यू-ट्यूब पर विडियो देखना
· ब्लाॅग बनाना
· फोटो का ऑनलाइन स्टोरेज
एम.एस. वर्ड:
बायोडेटा, निमंत्रण पत्र, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, आई कार्ड, विज्ञापन/नोटिस लेटरहेड/एन्वेलप, विजिटिंग कार्ड्स
एम.एस. पावरपाॅइन्ट:
प्रजेन्टेशन, फोटो एल्बम, सर्टिफिकेट, पोस्टर, ग्रीटिंग्स, कम्पनी प्रोफाइल, बिजनेस प्रजेन्टेशन
एम.एस. एक्सल:
बिजनेस प्लानर, हफ्ते के कामों की सूची, पाॅकेट मनी प्लानिंग, जमा-खर्च, टेक्स केल्कुलेटर, फोन डाटा बेस, डाटा विश्लेषण
राज्य कर्मचारियों को शत प्रतिशत फीस का पुनर्भुगतान एवं प्रथम प्रयास में पास करने पर प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।
संस्थान: RKCL से अधिकृत ज्ञान केन्द्र।
वेबसाइट: www.rkcl.in
ई-काॅमर्स और सूचना प्रणाली में कॅरियर
ई-काॅमर्स का अर्थ है: इलेक्ट्रोनिक संचार माध्यमों के जरिए विशेषकर इलेक्ट्रोनिक डाटा इन्टरचेंज (म्क्प्) जैसी कागज रहित सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यवसाय संचालित करना। ई-काॅमर्स के जरिए लेन-देन बिजनेस से बिजनेस (B to B) अथवा बिजनेस से ग्राहक (B to C)के बीच हो सकता है।
ई-काॅमर्स में पाठ्यक्रम:
प्रवेश 10+2 चरण के बाद शुरु किया जा सकता है। 10+2 के उपरान्त ई-काॅमर्स में विकल्प:-
1. ई.डी.आई. और ई-काॅमर्स के प्रमाण पत्र
2. ई-काॅमर्स अनुप्रयोग कार्यक्रम
3. वेब और ई-काॅमर्स प्रौद्योगिकी में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम
4. वेब और इंटरनेट प्रोग्रामिंग में प्रमाण पत्र
ई-काॅमर्स कॅरियर:
1. वेबसाइट डिजाइन और डवलपमेन्ट
2. विषय वस्तु डेवलपर
3. वेब प्रोग्रामिंग तथा एप्लीकेशन डेवलपर
4. डाटा बेस एडमिनिस्ट्रेटर
5. वेब मास्टर
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (N.D.A.) में प्रवेश हेतु परीक्षा
सेना में अपना भविष्य तलाशने वाले युवाओं के लिए एनडीए यानि नेशनल डिफेंस अकादमी परीक्षा एक बेहतर विकल्प है। यह एक प्रतिष्ठित विकल्प है जो कि रौबीली वर्दी, देश-भक्ति और साथ-साथ अनुशासित जीवन सभी कुछ प्रदान करता है। एनडीए परीक्षा के माध्यम से सेना के विभिन्न डिविजनों, जैसे थल सेना, नौ सेना और वायु सेना में प्रवेश पाया जा सकता है। इसमें प्रवेश हेतु विज्ञापन राष्ट्रीय रोजगार समाचार एवं अन्य समाचार पत्रों के माध्यम से वर्ष में 2 बार सामान्यतः मई तथा नवम्बर माह में जारी किया जाता है।
प्रवेश: लिखित परीक्षा के परिणाम के बाद बौद्धिक एवं व्यक्तित्व परीक्षा का आयोजन सर्विस सलेक्शन बोर्ड द्वारा चुने जाने पर प्रवेश दिया जाता है।
आयु: कम से कम 17 वर्ष, ऊँचाई 157.5 सेमी से 162.5 सेमी, दृष्टि 6/6 होनी चाहिए ।
शैक्षिक योग्यता:
थल सेना हेतु 10+2 उत्तीर्ण (कला, विज्ञान, वाणिज्य) वायु सेना एवं नौ सेना हेतु 10$2 (गणित, भौतिकी, रसायन)।
कक्षा 12 में प्रविष्ट छात्र भी आवेदन कर सकते हैं। लेकिन उन्हें दी गई तिथि तक उनके द्वारा कक्षा 12 उत्तीर्ण करने का प्रमाणीकरण देना होगा।
लिंग व वैवाहिक स्थिति: अविवाहित पुरुष/महिला
प्रशिक्षण: चयन उपरान्त राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) खड़गवासला, पूना में प्रशिक्षण।
सम्पर्क: सचिव, संघ लोक सेवा आयोग, धौलपुर हाउस, नई दिल्ली।
वेबसाइट: www.upsc.gov.in
आवेदन: रोजगार समाचार पत्र में प्रकाशित आवेदन पत्र के द्वारा आवेदन करना चाहिए। रोजगार समाचार पत्र में प्रकाशित आवेदन पत्र को स्वयं की लिखाई में भरकर प्रेषित किया जा सकता है अथवा सादे कागज पर टाइप करवाकर किया जा सकता है।
रोजगार के अवसर: एनडीए में चयन होने के पश्चात् 3 वर्ष की टेªनिंग होती है। तत्पश्चात् एक सैन्य अधिकारी के रूप में प्रतिष्ठित रोमांचकारी, अनुशासित और आर्थिक रूप से सुदृढ़ भविष्य आरंभ किया जा सकता है।
महिलाओं के लिए कॅरियर
रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय, श्रम मंत्रालय व भारत सरकार महिलाओं के लिए उद्योगों व सेवाओं में अधिक अवसर प्रदान करने उन्हें बुनियादी अग्रणी तथा उत्तर अग्रणी पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण देने के लिए कुछ ऐसे कोर्स संचालित करवाता है, जो केवल महिलाओं के लिए होते हैं। कामकाजी महिलाओं में तकनीकी कौशल विकसित करने एवं उनमें दक्षता संवर्धन के लिए रोजगारोन्मुखी लघु पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
रीजनल वोकेशनल टेªनिंग इंस्टीट्यूट फाॅर वूमन देशभर में 11 संस्थानों द्वारा संचालित किये जाते हैं।
प्रवेश: मेरिट के आधार पर (एस.सी./एस.टी. विकलांग व रक्षा सेवाओं के आश्रितों को आरक्षण)
आयु पात्रता: 14 से 25 वर्ष
निम्न तालिका में बताये गये पाठ्यक्रमों के लिए निम्नांकित संस्थानों से सम्पर्क किया जा सकता है-
1. नेशनल वोकशनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट फोर वूमन, नोएडा।
2. आर.वी.टी.आई.फोर वूमन, मुम्बई।
3. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, होसर रोड बेंगलुरू।
4. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, काझा कंुट्टम त्रिवेन्द्रम।
5. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, गरियाहट रोड़ कोलकाता।
6. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, थांडी सड़क, हिसार।
7. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, 5, इलाहाबाद।
8. आर.वी.टी.आई. फोर वूमन, बनीपार्क जयपुर।
9. नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलोजी, (NIFT) हौजखास नई दिल्ली।
10. NIFD केम्पस, राजपूताना टावर, तिलक नगर जयपुर।
11. अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाइन सेन्टर ,(A.T.D.C.) मालवीय औद्योगिक क्षेत्र, केलगिरी सर्किल के पास, जयपुर।
ज्वैलरी प्रोडक्ट डवलपमेन्ट सेन्टर, राजस्थान चैम्बर भवन, एम.आई.रोड, जयपुर।
विविध पाठ्यक्रम
क्रस |
पाठ्यक्रम |
अवधि |
न्यूनतम प्रवेश पात्रता |
1 |
सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस |
1 वर्ष |
12वीं उत्तीर्ण, न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक अंग्रेजी में (एस.सी.एस.टी.45 प्रतिशत) |
2 |
आर्किटेक्चरल ड्राफ्टमैनशिप |
2 वर्ष |
10वीं उत्तीर्ण |
3 |
डी.पी.टी ऑपरेटर |
1 वर्ष |
12वीं उत्तीर्ण |
4 |
हैयर एण्ड स्किन केयर |
1 वर्ष |
10वीं उत्तीर्ण |
5 |
कम्प्यूटर ऑपरेटर एण्ड प्रोग्रामिंग असिस्टेन्ट |
1 वर्ष |
12वीं उत्तीर्ण (विज्ञान/वाणिज्य वर्ग उच्च योग्यताधारी को प्राथामिकता |
6 |
परिधान निर्माण कशादाकारी तथा सूचीकर्मण |
8 माह |
10वीं उत्तीर्ण, 8वीं के साथ आई.टी.आईकटिंग,टेलरिंग NCVT |
7 |
ब्यूटी कल्चर एण्ड हैयर ड्रेसिंग | 8 माह |
10वीं उत्तीर्ण, आई.टी.आईहैयर एण्ड स्किन केयर NCVT |
8 |
काॅस्टिंग |
3 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
9 |
स्टोन से टंग |
3 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
10 |
माॅडल मेकि |
3 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
11 |
फाइनल पॉलिशिंग एण्ड फिनिंशिग | 3 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
12 |
फैशन एण्ड डिजाइन क्षैत्र एसेसरीज डिजाइन |
|
10+2 वीं उत्तीर्ण (न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक) |
13 |
फैशन डिजाइन |
1 वर्ष |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
14 |
डिप्लोमा इन फैशन डिजाइन एण्ड प्रजेन्टेशन | 1 वर्ष |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
15 |
डिप्लोमा इन फैशन सेम्पलिंग एण्ड कोर्डिनेशन | 1 वर्ष |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
16 |
डिप्लोमा इन अपरेल मैन्यूफेक्रिंग टेक्नोलाॅजी |
1 वर्ष |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
17 |
पैटर्न एण्ड कटिंग मास्टर कोर्स |
6 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
18 |
मशीन मैकेनिक कोर्स |
4 माह |
10वीं उत्तीर्ण |
19 |
फिनिशिंग एण्ड पैकेजिंग सुपरवाइजर कोर्स |
3 माह |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
20 |
सिलाई मशीन ऑपरेटिंग कोर्स |
3 माह |
8 वीं उत्तीर्ण |
21 |
आभूषण डिजाइन/निर्माण क्षेत्र बेसिक ज्वैलरी डिजाइन |
3 माह |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
22 |
एडवांस ज्वैलरी डिजाइन |
3 माह |
10+2 वीं उत्तीर्ण |
भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service)
अखिल भारतीय सेवाओ में से एक है। इसके अधिकारी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (तथा भारतीय पुलिस सेवा) में सीधी भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की जाती है तथा उनका आवंटन भारत सरकार द्वारा राज्यों को कर दिया जाता है।
आई.ए.एस. अधिकारी केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रणनीतिक और महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हैं। सरकार के वेस्ट मिस्टर प्रणाली के बाद दूसरे देशों की तरह, भारत में स्थायी नौकरशाही के रूप में आईएएस भारत सरकार के कार्यकारी का एक अविभाज्य अंग है और इसलिए प्रशासन को तटस्थता और निरंतरता प्रदान करता है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वनसेवा (आईएफएस/आईएफओएस) के साथ, आईएएस तीन अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है - इसका संवर्ग केन्द्र सरकार और व्यक्तिगत राज्यों दोनों के द्वारा नियोजित है।
उप कलेक्टर/मजिस्ट्रेट के रूप में परिवीक्षा के बाद सेवा की पुष्टि करने पर, आईएएस अधिकारी को कुछ साल की सेवा के बाद जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के रूप मे जिले में प्रशासनिक आदेश दिया जाता है और आमतौर पर, कुछ राज्यों में सेवा के 16 साल की सेवा करने के बाद, एक आईएएस अधिकारी मंडलायुक्त के रूप मे राज्य में एक पूरे मंडल का नेतृत्व करता है। सर्वोच्च पैमाने पर पहुंचने पर, आईएएस अधिकारी भारत सरकार के पूरे विभागों और मंत्रालयों की का नेतृत्व करते हैं। आईएएस अधिकारी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्ता में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रतिनिधित्व पर वे विश्व बैंक अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, एशियाई विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र या उसकी एजेंसियो जैसे अंतर सरकारी संगठनों में काम करते हैं। भारत के चुनाव आयोग की दिशा में भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर आईएएस अधिकारी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राज्य सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा उक्त नियमावली के अनुसार सेवा संबंधी मामलों का क्रियान्वयन किया जाता है। पदोन्नति, अनुशासनिक कार्यवाही इत्यादि के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा ही दिशा निर्देश तैयार की जाती है। इन मामलों पर कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार को आख्या/रिपोर्ट भेजी जाती है। जिस पर भारत सरकार विचारकर राज्य सरकार (कार्मिक विभाग) को मामलों पर कार्यवाही करने का आदेश देती है। तत्पश्चात् कार्मिक विभाग द्वारा भारत सरकार के आदेशों को जारी कर कार्यवाही की जाती है।
· सिविल सेवा परीक्षा
· संघ लोकसेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा की परीक्षा हर साल तीन चरणों में आयोजित की जाती हैं तीनो चरणों (प्रांरभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार) में सफल अभयर्थी की प्राथमिकता और वरीयता के हिसाब से आई.ए. एस. , आई.पी.एस. , आई.एफ.एस. , आई.आर.एस तथा अन्य केंद्रीय सेवाओं के लिए चुना जाता हैं। अंतिम चयन में स्थान बनाने के लिए अभ्यथी को कड़ी महनत और नियमित अध्ययन की आवश्यकता होती है। चूँकि चुने जाने के बाद प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करना होता है तो आयोग ऐसे अभ्यर्थी को चुनने का प्रयास करता है जो पद बड़ा बदलाव किया गया है आयोग ने यह बदलाव इस प्रकार से किया है कि अभ्यर्थी की परीक्षा सिविल सेवा मे आने वाले चुनौतियों के हिसाब से शुरूआती चरण से ली जा सके।
सिविल सेवा की तैयारी कैसे
सिविल सेवा के कठिन परीक्षा को देखते हुए हर अभ्यर्थी के मन यह सवाल उठता हैं कि इस परीक्षा की तैयारी कैसे की जाये ? यहाँ कुछ सलाह दिए जा रहे है जो अभ्यर्थी को तैयारी में मदद कर सकता हैं –
· तैयारी शरू कर रहे छात्रां को सलाह दी जाती है कि सबसे पहले अपनी अवधारणा बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए सामान्य अध्यययन के सभी टाॅपिक के लिए एन.सी.आर.टी. की किताबों का अध्ययन करना चाहिए। साथ अपने रूचि और चयन के आधार को देखते हुए वैकल्पिक विषय का चयन कर के उससे सम्बन्धित विश्वसनीय किताब का अध्यययन करना चाहिए।
· बदले हुए पाठ्यक्रम में समसामयिक मुद्दों का महत्व बढ़ गया है इस तथ्य को ध्यान रखते हुए छात्र को नियमित रूप एक राष्ट्रीय अखबार पढ़ना चाहिये, साथ ही हिन्दी के समाचार बुलेटिन सुनना लाभप्रद होगा।
· प्रारम्भिक परीक्षा के लिए पिछले साल के प्रश्नों का अभ्यास करना और मुख्य परीक्षा के लिए उत्तर लिखने का अभ्यास इस परीक्षा के लिए बेहतर रणनीति होगी।
प्रारंभिक परीक्षा-सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र
· सबसे पहले अभयर्थी को यह ध्यान देना चाहिए कि सामान्य अध्ययन प्रथम प्रश्न पत्र में अब प्रश्नों की संख्या घट कर 100 हो गया है। जिसके लिए 200 अंक निर्धारित हैं।
· विगत तीन वर्ष से इस प्रश्न पत्र में सामान्य विज्ञान, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, भूगोल, राजनीतिक व्यवस्था आदि टाॅपिक से ज्यादा प्रश्न पूछे जा रहे हैं।
· अभ्यर्थी को सामान्य विज्ञान के लिए 6 ठी से 10वीं तक की NCERT, अर्थव्यवस्था के लिए 11 वीं और 12 वी की NCERT के साथ आर्थिक समीक्षा, पर्यावरण के लिए इग्नू के नाट्स, भूगोल के लिए NCERT, के साथ महेश कुमार बर्णवाल की किताब भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के लिए सुभाष कश्यप और एम लक्ष्मीकांत की किताबों का अध्ययन लाभदायक होगा। साथ ही अभ्यर्थी को पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को हल करना चाहिए।
प्रारंभिक परीक्षा-सामान्य अधययन द्वितीय प्रश्न पत्र
· वर्ष 2011 में सिविल सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा के पाठ्यक्रम में बदला किया गया। बदले हुए पाठ्यक्रम में वैकल्पिक विषयों को हटाकर C-SAT को द्वितीय प्रश्न पत्र के रूप में लाया गया।
· वर्ष 2011 से अब तक कुल तीन बार यह परीक्षा हो चुकी हैं पिछले परीक्षा के प्रश्न पत्र का विश्लेषण करने के बाद जिस भाग से सबसे ज्यादा प्रश्न किये ये उनमें परिच्छेद,विश्लेषणात्मक तार्किक क्षमता, डाटा विश्लेषण, निर्णयन क्षमता, अंग्रेजी भाषा परिच्छेद हैं।
· अभ्यर्थी यदि सामान्य अध्ययन के द्वितीय प्रश्न पत्र में बोध गम्यता, मानसिक योग्यता, डाटा विश्लेषण, अंगे्रजी बोधगम्यता, निर्णय क्षमता आदि टाॅपिक में लगातार अभ्यास करे तो वह अच्छा प्रदर्शन कर सकता है और प्रारम्भिक परीक्षा में सफलता को प्राप्त कर सकता है।
एक्सपे्रस प्वाइंट
· अभ्यर्थी को प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम के हर टाॅपिक को रटने के बजाय समझने पर ध्यान देना चाहिए।
· अभ्यर्थी को अपने तैयारी के दौरान सबसे पहले अपने कमजोर और मजबूत पक्ष को समझना चाहिए, फिर इसी के अनुसार अपनी तैयारी की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
· अभ्यर्थी को अपने तैयारी के दौरान सबसे पहले अपने कमजोर और मजबूत पक्ष को समझना चाहिए, फिर इसी के अनुसार अपनी तैयारी की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
· दूसरे प्रश्न पत्र (सी-सैट) के अंक का सारांश प्रश्न पत्र की तुलना में ज्यादा है, इसलिए छात्रों को दूसरे प्रश्न पत्र में ज्यादा अंक हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
· सी-सैट के प्रश्न पत्र में अभ्यास के द्वारा बेहतर परिणाम हासिल किया जा सकता है।
· सी-सैट के प्रश्न पत्र में सबसे बड़ा फायदा है कि इसकी तैयारी पूरे वर्ष करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
इसकी तैयारी 3 से 6 महीनों में की जा सकती हैं।
Web site : www.upsc.gov.in
Web site : www.rpsc.rajasthan.gov.in
प्रशासनिक सेवाओं के अतिरिक्त 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से ग्रामसेवक, पटवारी, वनरक्षक, पुलिस, लिपिक आदि में भी प्रवेश कर रोजगार प्राप्त कर सकते हंै।