जलग्रहण विकास कार्यक्रम
स्वतंत्रता प्राप्ति के पष्चात् ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए अनेकानेक प्रयास किए गए। पंचवर्शीय योजनाओं में ग्रामीण विकास के लिए सामुदायिक विकास, राश्ट्रीय विस्तार सेवाऐं एवं लक्षित समूहों और क्षेत्रों के विकास हेतु कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं का संचालन एवं क्रियान्वयन किया गया।
भारत में 1947 के पष्चात निर्धनता निवारण, रोगों से मुक्ति, षिक्षा और तकनीकी विकास, क्षुधा मुक्ति, समता और समानता आधारित जनतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से वंचितों व पिछड़े वर्ग और समूहों के सदस्यों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रयास किये गये। पिछले छह दषकों की अवधि में देष और प्रदेषों में मानव विकास के विभिन्न क्षेत्रों में महती प्रगति हुई खाद्य उत्पादन, जीवन स्तर, आय (राश्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति), पोशण, जीवन की प्रत्याषा, भौतिक एवं सामाजिक संरचना एवं अन्य क्षेत्रों में संख्यात्मक एवं गुणात्मक सुधार हुए।
इसी क्रम में जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करके जीवन स्तर में अभिवृद्धि के लक्ष्य तक पहुंचने के प्रयास किये गये। जहां जलग्रहण विकास परियोजनाओं के माध्यम से उपलब्धियां प्राप्त हुई वहीं इनके माध्यम से जीवन यापन, समृद्धि और जीवन गुणवत्ता में और अधिक सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयासों की और अधिक जरूरत समझी गयी। इसी दृश्टि से जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रमों में कृशि विकास, पषुधन विकास, मृदा व उत्पादन विकास, षिक्षा, स्वास्थ्य, जेंडर समानता एवं अन्य जीवन कौषलांे संबंधी क्षमताओं को जोड़ने की जरूरत समझी गयी। इस जुड़ाव को सुनिष्चित करने के लिए संबंधित विभागों, स्वैच्छिक संगठनों, समुदाय के विभिन्न वर्गो, तकनीकी विषेशज्ञों, विस्तार कार्यकर्ताओं और सरकार की विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों में इसे जोड़ा जा रहा है।
स्वच्छ परियोजना को जयपुर जिले के फागी जलग्रहण क्षेत्र हेतु एवं उदयपुर जिले के धारता जलग्रहण क्षेत्र विकास हेतु परियेाजना क्रियान्वयन एजेन्सी (पी.आई.ए.) नियुक्त किया गया है। जलग्रहण क्षेत्र अन्तर्गत स्वीकृत विभिन्न गतिविधियांॅ आरम्भ कर दी गयी है।